GTTES - 20154 टेक्सटाइल मशीनरी उद्योग के लिए संभावनाओं का द्वार मुम्बई गत 20 जनवरी से 22 जनवरी, 2015 तक मुम्बई के एग्जिक्यूटिव सेण्टर गोरेगांव में Globle Textile Technology abd Engineering Show -2015 (GTTES - 2015) आयोजित की जा रही है। इसमें विश्वभर से उत्पादित टेक्सटाइल मशीनरी एवं टेक्नोलॉजी का डिस्प्ले किया गया। इण्डिया ITME सोसाइटी के चेयरमैन श्री संजीव लाठिया ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मॉडर्न टेक्नोलॉजी को भारत लाने के उद्देश्य से 34 वर्ष पूर्व ITME सोसायटी का श्रीगणेश हुआ था। इसने टेक्सटाइल उद्योग के विकास में एक उत्प्रेरक का कार्य किया है। ITME सोसायटी ने सफलता पूर्वक अपने काम को अंजाम दिया है। इस वर्ष इस संस्था ने नये बाजारों तक पहुँच बनाने के लिए नयी चुनौती को स्वीकार किया है। GTTES एशियन बाजार तथा टेक्सटाइल मशीनरी एक्सेसरीज, स्पेयर पार्ट्स रॉ-मेटेरियल्स तथा सम्बद्ध सेवा आदि का एक व्यापक (एक्सक्लूसिव) शो है जिसे ITME सोसयाटी ने आयोजित किया है। श्री लाठिया ने बताया कि इस विशेष प्रदर्शनी के कई उद्देश्य हैं। यह टेक्नॉलोजी एवं मशीनरी की प्रदर्शनी के साथ ही उच्च क्वालिटी, वैरायटी, एलायड सर्विसेज की प्रदर्शनी भी है। यह छोटे और मध्यम एंटरप्राइजेज वाले क्लाइंट की बड़ी मदद करेगा। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी महज एक प्रदर्शनी नहीं है। यह बिजनेस आदि को एक माहौल भी प्रदान करेगा। बेहतर नेटवर्किंग की बदौलत यह सेल और सर्विस की क्वालिटी भी उन्नत करेगा। यह व्यक्तिगत अंत:क्रिया के माध्यम से कस्टमर्स संबंधों को प्रगाढ़ करेगा। यह ओवरसीज, रिजनल, डोमेस्टिक बाजारों में नई लीडरशिप भी डवलप करेगा तथा यह छोटे और मध्यम क्लाइंट बेस तक पहुँचेगा। GTTES 2015 का महत्व - एशिया में उपलब्ध संभावनाओं की तरफ विश्व की नजर खीचनें के उद्देश्य से ये प्रयास जारी है। आज एशिया टेक्सटाइल मशीनरी का सबसे बडा बाजार एवं विश्व टेक्सटाइल उद्योग का केन्द्र है। आज एशियन बाजार को हाई परफोर्मेंस, हाई क्वालिटी, ऑटोमेशन की हाई डिग्री तथा इनर्जी सर्विस मशीनरी एवं इक्विपमेण्ट की निहायत जरूरत है। इंटर एशिया टे्रड प्रेडिक्शन के अनुसार एशिया महादेश नये फेज में प्रवेश करने जा रहा है। 2015 तक इंटर- एशिया ट्रेड की मौजूदा 180 बिलियन यू एस डॉलर की तुलना में दुगुना होकर 350 बिलियन यूएस डॉलर के होने की संभावना है। तब यह निर्यातक देशों के लिए सबसे बड़ा मार्केट ब्लॉक बन जाएगा। श्री संजीव लाठिया ने बताया कि 180 बिलियन यूएस डॉलर के वृहत इंट्रा एशिया-टे्रड के 8 प्रतिशत CAGR की दर से वृद्धि को देखते हुए, इंडिया ITME सोसायटी ITME सीरीज के साथ अलटरनेटली एक्जीबीशन लॉञ्च कर रही है। श्री लाठिया ने कहा कि भविष्यवाणी की गयी है कि आगामी वर्षों में विश्व टेक्सटाइल उद्योग एवं टेक्सटाइल इंजिनीयरिंग उद्योग का केन्द्र एशिया होगा। विश्व का 70 प्रतिशत से अधिक फाइबर प्रोसेसिंग एशिया में होता है। चीन, भारत एवं पाकिस्तान संयुक्त रूप से 60 प्रतिशत फाइबर उपयोग में लाते हैं। यह भी भविष्यवाणी की गयी है कि चीनी एवं भारतीय अपेरल-मार्केट का आकार अमेरिका एवं यूरोप के संयुक्त मार्केट आकार से बढऩे जा रहा है। टेक्सटाइल इंजिनीयरिंग एवं सेवा के लिए भविष्य में यह संभावनाओं का द्वार खोलेगा। बांग्लादेश एवं वियतनाम भी प्रतिस्पर्धी टेक्सटाइल देश के रूप में उभर रहे हैं। टेक्सटाइल एवं अपेरल एक्सपोर्ट के एक शक्तिशाली टे्रड ब्लॉक के रूप में संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए टेक्सटाइल उद्योग के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि एशियन-कंट्रीज में बिजनेस टाई-अप्स स्थापित किए जाय और इस बढ़ाया जाए। इंडिया ITME सोसायटी के चेयरमैन श्री लाठिया ने बताया कि GTTES - 2015 की प्लानिंग एवं रुपरेखा इस तरह तैयार की गयी है ताकि यह एशियन-टेक्सटाइल मार्केट के लिए एक्सक्लूसिव एवं फोकस्ड बिजनेस इवेंट साबित हो। श्री लाठिया ने कहा कि भारत के डोमेस्टिक कंजम्पशन एवं निर्यात के लिए भारतीय उत्पादन विश्व के औसत उत्पादन से आगे ग्रोथ के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि 2025 तक उम्मीद है कि भारतीय डोमेस्टिक अपेरल कंजम्पशन बढ़कर 200 बिलियन यूएस डॉलर हो जाएगी, जो विश्व के कई बड़े कन्ज्यूमर्स जैसे जापान, ब्राजील, रूस आदि से ज्यादा है। 2025 में 2012 के 45 बिलियन यूएस डॉलर का 4 गुणा बढ़ा जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत अपेरल, हैडीक्राफ्ट और कुछ अन्य उद्योगों के लिए उभरता हुआ मल्स एवं रिटेल इंडस्ट्री एक व्यापक संभावना पैदा करता है। यह संभावना पूरे वैल्यूचेन तथा अन्य प्रॉडक्ट सेग्मेंट सभी के लिए होगा। इसी के बीच से मशीनरी सप्लायर्स एवं इससे संबंद्ध व्यापार जैसे केमिकल्स कन्ज्यूमेबल्स, लॉजिस्टिक सभी के लिए व्यापक बाजार खुलेगा। उन्होंने भारत सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि इसमें टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड स्कीम ने 1,51,000 करोड़ रुपयों की बदौलत मशीनरी सेक्टर को एक बड़ा सपोर्ट दिया है। श्री लाठिया ने कहा कि इसमें अपना मार्केट शेयर बढ़ाने के लिए उत्पादकों एवं टे्रडरों को क्षेत्रीय बाजार एवं ग्रामीण बाजार पर ध्यान केंदित करना पड़ेगा। इसमें अपार अनएक्स्प्लोर्ड वर्जिन संभावनाएं दिखायी पड़ेगी, जिसका वे लाभ उठा सकेंगे। जरुरत है सप्लाई चेन डवलप करने की, जो उभरती डोमेस्टिक बाजार को कैटर कर सके। साथ ही पड़ोसी एशियन देशों में भी कस्टमर्स ढुढऩे की जरूरत नहीं पड़ेगी।